सीबीआईसी के इतिहास में कानपुर में सबसे बड़ी बरामदगी, बक्सों में भरकर रिजर्व बैंक भेजे जा रहे नोट

सीबीआईसी के इतिहास में कानपुर में सबसे बड़ी बरामदगी, बक्सों में भरकर रिजर्व बैंक भेजे जा रहे नोट

सीबीआईसी के इतिहास में कानपुर में सबसे बड़ी बरामदगी

सीबीआईसी के इतिहास में कानपुर में सबसे बड़ी बरामदगी, बक्सों में भरकर रिजर्व बैंक भेजे जा रहे नोट

कानपुर : उत्‍तर प्रदेश के कानपुर (Kanpur search) में एक इत्र बिजनेसमैन (perfume businessman) व समाजवादी पार्टी के नेता पीयूष जैन (Piyush Jain) के यहां छापे (IT Raid in Kanpu) में 150 करोड़ रुपए से ज्यादा का कैश (approx Rs 150cr cash recovered ) मिला है. कल गुरुवार से भारी नकदी की गिनती अभी भी जारी है. सीबीआईसी के इतिहास में छापे में मिली अब तक यह सबसे बड़ी नकदी है. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के अध्यक्ष विवेक जौहरी के मुता‍कि, छापेमारी में लगभग 150 करोड़ रुपए जब्त किए गए हैं, जिनकी गिनती अभी जारी है. कानपुर में व्यवसायी पीयूष जैन के आवास से नोटों की गिनती के विजुअल्‍स सामने आए हैं. अधिकारियों ने नोट गिनने के लिए कई मशीनें मंगवाई हैं. जैन के मकान में ये नोटों के बंडल कई अलमारियां में भरे हुए मिले. एसबीआई अधिकारियों की मदद से नोटों की गिनती की प्रक्रिया अभी भी जारी है. यह आज शुक्रवार तक समाप्त हो सकती है.

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के अध्यक्ष विवेक जौहरी ने कानपुर में हुई इस छापेमारी पर कहा, ”हमें जानकारी मिली कि त्रिमूर्ति फ्रेग्रेन्सेस बिना इनवॉयस या टैक्स भुगतान के काम कर रही थी. हमने उनकी 3 संस्थाओं की तलाशी ली और लगभग 150 करोड़ रुपए नकद बरामद किए. सीबीआईसी के इतिहास में यह अब तक की सबसे बड़ी वसूली है. अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.” 

सीबीआईसी अध्यक्ष विवेक जौहरी ने कहा, फर्जी चालान व फर्जी क्रेडिट का मामला दर्ज जीएसटी कानून यह है कि यदि आपका चालान एक निश्चित सीमा से अधिक है तो आपको चालान उत्पन्न करना होगा. तलाशी में हमें एक वस्तु मिली जिस पर जीएसटी कर की दर 28% से अधिक उपकर है.

बता दें कि आईटी ने बीते 18 दिसंबर से शुरू की अपने कार्रवाई में सपा से जुड़े छापे के बाद करोड़ों रुपए के फर्जी व्यय एवं खोखा कंपनियों का पता लगाया था.
आयकर विभाग ने खोखा कंपनियों के माध्यम से किये गए करोड़ों रुपए के फर्जी व्यय दावों एवं शेयर पूंजी के कथित अंतरण का पता लगाया है. उसने हाल में कर्नाटक एवं उत्तर प्रदेश में कुछ निकायों पर छापा मारा तथा इन कुछ लोगों का संबंध समाजवादी पार्टी से है.

बीते 21 दिसंबर को कर विभाग के लिए नीति तय करने वाले केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश एवं कर्नाटक में असैन्य निर्माण, रियल एस्टेट तथा शैक्षणिक संस्थानों को चलाने में शामिल विभिन्न व्यक्तियों तथा उनके कारोबारी निकायों की 18 दिसंबर को तलाशी की गई थी. 30 परिसरों पर छापे मारे गए थे.
सीबीडीटी ने कहा था कि इस तलाशी अभियान के दायरे में कोलकाता के एक एंट्री ऑपरेटर (फर्जी सौदा करने वाला व्यक्ति) को भी लाया गया, इस अभियान के दौरान उत्तर प्रदेश के लखनऊ, मैनपुरी एवं मऊ, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, कोलकाता एवं बेंगलुरु में 30 परिसरों की तलाशी की गयी. बयान के अनुसार तलाशी के दौरान दस्तावेजों की मूल प्रतियों और डिजिटल डाटा समेत ‘अभियोजनयोग्य साक्ष्य’ जब्त किये गये तथा प्राथमिक विश्लेषण से विभिन्न तरीकों से कर चोरी का पता चला.

बयान में कहा गया है, यह पाया गया कि असैन्य निर्माण कार्य में लगे कई निकाय करोड़ों रूपये के फर्जी व्यय के दावे में लिप्त थे. फर्जी आपूर्तिकर्ताओं के खाली बिल पुस्तिकाओं, टिकट, हस्ताक्षरित चेकबुक समेत विभिन्न अभियोजन योग्य दस्तावेज पाये गये हैं और जब्त किये गए हैं. आयकर विभाग ने कहा कि एक कंपनी के मामले में तो उसे उसके निदेशकों की 86 करोड़ की अघोषित आय का पता चला. सीबीडीटी ने कहा था, उसमें से संबंधित व्यक्ति ने कबूला कि 68 करोड़ रूपये उसकी अघोषित आय है और उसने कर भुगतान की पेशकश की.

बयान के अनुसार स्वामित्व संबंधी चिंताजनक एक मामले में पिछले कुछ सालों में 150 करोड़ रुपए से अधिक के कारोबार से जुड़े बही-खाते प्रस्तुत नहीं किए जा सके. विभाग ने कहा कि अघोषित आय एवं निवेशों के लिए खोखा कंपनियों का रास्ता अपनाया गया.

सपा सूत्रों ने बताया था कि मऊ में पार्टी प्रवक्ता राजीव राय, लखनऊ में पूर्व मुख्यमंत्री एवं सपा प्रमुख अखिलेश यादव के विशेष कार्याधिकारी रहे जैनेंद्र यादव, व्यापारी राहुल भसीन एवं मैनपुरी में ठेकेदार मनोज यादव के परिसरों पर छापा मारा गया था. राय ने इन छापों को राजनीति से प्रेरित करार दिया. अखिलेश यादव ने कहा कि जब भी भाजपा उत्तर प्रदेश में चुनाव हारने वाली होती है, तब प्रवर्तन एजेंसियों का दुरुपयोग अधिक बढ़ जाता है.

कानपुर में दो कारोबारियों पर आयकर छापेमारी के दौरान करोड़ों रुपये की कर चोरी का पता चला है. कानपुर, कन्नौज, मुंबई और गुजरात में इत्र कारोबारी पीयूष जैन के घर, फैक्ट्री, ऑफिस, कोल्ड स्टोर और पेट्रोल पंप पर आयकर विभाग की छापेमारी चल रही थी. पीयूष जैन का मुंबई में एक घर, हेड ऑफिस और शोरूम भी है. उनकी कंपनियां भी मुंबई में ही पंजीकृत हैं. आनंदपुरी निवासी पीयूष जैन मूल रूप से कन्नौज के छिपट्टी के रहने वाले हैं. कन्नौज में उनका एक घर, परफ्यूम फैक्ट्री, कोल्ड स्टोर, पेट्रोल पंप भी है.

आईटी छापे के साथ, विशिष्ट खुफिया सूचनाओं पर, जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई), अहमदाबाद के अधिकारियों ने गुरुवार को कानपुर में फैक्ट्री परिसर और एक पान मसाला निर्माता और एक ट्रांसपोर्टर (जिसकी पहचान अभी उजागर नहीं की गई है) से संबंधित परिसरों की तलाशी शुरू की. इनकम टैक्स की टीम सबसे पहले करेंसी काउंटिंग मशीन के साथ शहर में पीयूष जैन के आनंदपुरी स्थित आवास पर पहुंची. इसी तरह की छापेमारी मुंबई और गुजरात में जैन के प्रतिष्ठानों पर चल रही है.

छापेमारी का नेतृत्व मुंबई की एक टीम ने किया और इसकी निगरानी में कानपुर के आयकर अधिकारियों की टीम ने भी छापेमारी की. अधिकारियों के मुताबिक करीब 150 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी का मामला सामने आया है. यह टैक्स चोरी मुख्य रूप से शेल कंपनियों के जरिए की गई है. छापेमारी गुरुवार सुबह कानपुर, मुंबई और गुजरात में एक साथ शुरू हुई और देर रात खत्म हुई. छापेमारी के दौरान 150 करोड़ रुपए से अधिक की नकदी बरामद हुई है.

अधिकारियों के मुताबिक, पीयूष जैन की करीब 40 कंपनियां हैं, जिनमें से दो मध्य पूर्व में हैं।. अधिकारियों ने कहा कि वह मुख्य रूप से कन्नौज में इत्र व्यवसाय में हैं, जबकि समूह का मुंबई में एक शोरूम है, जहां से पूरे देश और विदेशों में इत्र बेचा जाता है.

छापेमारी के दौरान यह भी पता चला कि कंपनी ने शेल कंपनियों के नाम पर कर्ज लिया था. कंपनी के विदेशी लेनदेन भी बहुत बड़े हैं. इस बीच, एक आईटी अधिकारी ने कहा कि आय और कर से संबंधित दस्तावेजों की जांच की जा रही है. इसी तरह, फैक्ट्री परिसरों और पान मसाला निर्माता और एक ट्रांसपोर्टर के परिसरों पर भी छापे मारे गए, जो नकली चालान की आड़ में माल के परिवहन में शामिल था, वो भी बिना ई-वे बिल बनाए.

ट्रांसपोर्टर ई-वे बिल के निर्माण से बचने के लिए, एक ट्रक लोड के लिए 50,000 रुपये से कम, गैर-मौजूद फर्मों के नाम पर कई चालान उत्पन्न करता था. अधिकारियों ने फैक्ट्री परिसर के बाहर ऐसे चार ट्रकों को सफलतापूर्वक रोका और जब्त किया. ट्रांसपोर्टर के गोदाम से पूर्व में बिना जीएसटी भुगतान किए परिवहन के लिए इस्तेमाल किए गए 200 से अधिक फर्जी चालानों को बरामद किया गया है.